सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लान ही लेना चाहिए, इससे बुरे समय में नहीं होना पड़ेगा परेशान

किसी दुर्घटना की स्थिति में न सिर्फ इलाज पर आपको बेहिसाब पैसे खर्च करने पड़ते हैं, बल्कि आपका मनोबल गिर जाता है, दुर्घटना की वजह से लंबी छुट्‌टी लेने से इनकम रुक जाती है। दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति पर दोहरी मार पड़ती है। ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस आपके लिए मददगार साबित होता है। इसके लिए आपको सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लान ही लेना चाहिए। आपको ऐसी पॉलिसी लेनी चाहिए, जिसे जीवन में किसी भी समय रिन्यू कराया जा सके। हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़ी कुछ अहम बातें हम आपको यहां बता रहे हैं।


इन बातों का रखें ध्यान




  1. पूंजी बर्बाद होना न मानें


     


    कुछ लोग मेडिक्लेम या हेल्थ इंश्योरेंस लेने को पैसा बर्बाद करना मानते हैं, जो कि गलत है। इमरजेंसी के वक्त यही प्लान आपके जीवन की रक्षा करता है। साथ ही आपका बजट बिगड़ने नहीं देता। जरा सा प्रीमियम चुकाने के बाद 5-7 लाख रुपए का हेल्थ कवर लेना आपकी समझदारी होगी।


     




  2. देखें, समझें फिर लें


     


    हेल्थ इंश्योरेंस लेने से पहले संबंधित कंपनी की शर्तें ठीक से समझें। गंभीर बीमारी, पहले से मौजूद बीमारी और एक्सीडेंट के मामले में कंपनी कितना हेल्थ कवर देती है, इसे समझकर ही प्लान लें।


     




  3. रिन्यू कराते रहें


     


    अगर आप 40 साल की उम्र से पहले हेल्थ कवर लेते हैं तो आपको बिना शर्त ज्यादा फायदा मिलता है। युवावस्था में बीमारियां कम होती हैं। इस लिहाज से बीमा देने वाली कंपनियां उनके लिए प्रीमियम भी कम रखती हैं। प्रति वर्ष इसे रिन्यू करते रहने से आपको 'नो क्लेम बोनस' का लाभ मिलता रहेगा जो आगे काम आएगा।


     




  4. सही जानकारी दें


     


    हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय अपने मेडिकल रिकॉर्ड के बारे में सही जानकारी दें। पुरानी बीमारी को छिपाएं नहीं। यदि आपने कुछ छिपाया या गलत जानकारी दी तो बीमा कंपनी इलाज शुरू होने से पहले ही हाथ खींच सकती है या बाद में आपको क्लेम देने से मना कर सकती है। पुरानी बीमारी है तो आपको कुछ अधिक प्रीमियम चुकाना पड़े, लेकिन फिर भी आप फायदे में रहेंगे।


     




  5. क्या कवर होगा और क्या नहीं, इसे समझ लें


     


    हर बीमा कंपनी के अपने नियम होते हैं, उसी हिसाब से वे पॉलिसी बनाती हैं। हेल्थ पॉलिसी खरीदने से पहले यह समझ लें कि उसमें कितना और क्या आर्थिक कवर मिलेगा?


     




  6. लिमिट या सब लिमिट वाला प्लान न लें


     


    अस्पताल में प्राइवेट रूम के किराए जैसी लिमिट से बचें। आपके लिए यह जरूरी नहीं है कि इलाज के दौरान आपको किस कमरे में रखा जाए। खर्च के लिए कंपनी द्वारा लिमिट या सब लिमिट तय करना आपके लिए ठीक नहीं है। पॉलिसी लेते समय इस बात का ध्यान रखें।



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